शुभ विजयादशमी

दशहरा / विजयादशमी / दुर्गा पूजा / नवरात्रि

दशहरा (जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है) भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह उत्सव भगवान राम की रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत को दर्शाता है। दशहरा के दिन रामलीला का मंचन होता है, जिसमें रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं। यह विजय की खुशी मनाने का प्रतीक होता है।

विजयादशमी का महत्व

  • विजयादशमी का नाम ‘विजय’ का मतलब है जीत, और ‘दशमी’ का मतलब है दसवां दिन। यह त्योहार बुराई के अंत और सत्य की विजय का प्रतीक है।
  • इस दिन को खासकर राम की रावण पर जीत से जोड़ा जाता है, जब भगवान राम ने रावण का वध कर सीता माता को लंका से मुक्त किया था।

दुर्गा पूजा

  • दुर्गा पूजा बंगाल, असम और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है। यह नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
  • देवी दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने असुर महिषासुर का वध कर धरती पर शांति और धर्म की स्थापना की थी।
  • दुर्गा पूजा के दौरान, पूरे पंडालों में देवी दुर्गा की प्रतिमाएँ स्थापित की जाती हैं और लोग महाआरती, भोग, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं। दशमी के दिन मूर्तियों का विसर्जन होता है।

नवरात्रि

  • नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहां लोग गरबा और डांडिया नृत्य करते हैं।
  • नवरात्रि के दौरान उपवास और ध्यान के साथ देवी के विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। यह आत्मशुद्धि और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का समय होता है।

 

An image of Saraswati Pujan on Dussehra, showing a traditional Indian setting with an idol or picture of Goddess Saraswati placed on a decorated altar. The altar is adorned with flowers, lamps, and books representing knowledge. In front of the altar, offerings like fruits, sweets, and incense sticks are placed. A few musical instruments like a veena (symbolizing Saraswati) or other items related to education like pens and notebooks are placed neatly. The environment is serene, spiritual, and vibrant with traditional Indian decor.

इस दिन का एक विशेष महत्त्व सरस्वती पूजन और शस्त्र पूजा से भी जुड़ा होता है। दोनों पूजाएं ज्ञान, शक्ति, और धर्म की विजय को दर्शाती हैं।

सरस्वती पूजन

सरस्वती पूजन दशहरे के अवसर पर विशेष रूप से किया जाता है, खासकर उन परिवारों में जहाँ शिक्षा और ज्ञान का महत्त्व होता है। देवी सरस्वती को ज्ञान, कला, संगीत, और विद्या की देवी माना जाता है, और दशहरे के दिन उनकी पूजा करने का उद्देश्य जीवन में नई ऊर्जा, बुद्धिमत्ता और सृजनशीलता लाना होता है।

  • इस दिन विद्यार्थी, कलाकार, और विद्वान अपने किताबों, वाद्ययंत्रों, और अन्य शैक्षणिक सामग्री की देवी सरस्वती के समक्ष पूजा करते हैं।
  • देवी सरस्वती की प्रतिमा या चित्र के समक्ष किताबें, पेन, वाद्ययंत्र, और अन्य शैक्षिक सामग्रियाँ रखी जाती हैं। इन्हें फूलों और अक्षत से सजाया जाता है।
  • लोग इस दिन से नए शैक्षणिक या कलात्मक कार्य शुरू करने के लिए इसे शुभ मानते हैं, ताकि माता सरस्वती का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहे।
  • आह्वान मंत्र जैसे “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” का जाप कर सरस्वती देवी की प्रार्थना की जाती है।

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शस्त्र पूजा

शस्त्र पूजा दशहरे का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विशेष रूप से क्षत्रिय समाज और उन लोगों के बीच प्रचलित है जो परंपरागत रूप से हथियारों का उपयोग करते रहे हैं, जैसे कि सैनिक, पुलिस, और रक्षा से जुड़े लोग।

  • महाभारत की कथा के अनुसार, पांडवों ने अपने हथियार शमी वृक्ष में छुपाए थे और विजयादशमी के दिन वे उन्हें पुनः प्राप्त कर युद्ध के लिए तैयार हुए। इस कारण दशहरे के दिन शस्त्र पूजा की परंपरा है।
  • शस्त्र यानी हथियारों की पूजा का उद्देश्य उन उपकरणों के प्रति सम्मान और उनके सही उपयोग का संकल्प लेना होता है। यह पूजा शक्ति और साहस का प्रतीक है।
  • इस दिन तलवार, भाले, धनुष-बाण, और अन्य शस्त्रों को साफ कर, उन पर रोली, चंदन, और फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है।
  • आधुनिक समय में, लोग अपनी गाड़ियों, मशीनों, और तकनीकी उपकरणों की भी पूजा करते हैं, जो उनके कार्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

पूजा विधि

  1. सबसे पहले शस्त्रों और पुस्तकों को साफ किया जाता है और उन्हें एक स्थान पर सजाया जाता है।
  2. देवी सरस्वती और शस्त्रों के समक्ष दीपक जलाकर, धूप-अगरबत्ती से पूजा की जाती है।
  3. शमी वृक्ष की पूजा भी दशहरे पर की जाती है, और शमी वृक्ष के पत्तों को “सोना” मानकर आदान-प्रदान किया जाता है।
  4. देवी सरस्वती की आरती की जाती है और प्रसाद का वितरण होता है।

सरस्वती पूजन से व्यक्ति को जीवन में ज्ञान और कला की शक्ति मिलती है, वहीं शस्त्र पूजा से वह शक्ति और साहस के मार्ग पर अग्रसर होता है। दोनों ही पूजाओं का उद्देश्य जीवन में धर्म, शक्ति, और बुद्धिमत्ता का संतुलन बनाए रखना है, जो दशहरे के महत्त्वपूर्ण संदेशों में से एक है।

समापन और विशेषताएँ

  • इन सभी त्योहारों का मूल उद्देश्य है धर्म की जीत और अधर्म का नाश
  • चाहे राम की रावण पर जीत हो, दुर्गा की महिषासुर पर विजय, या नवरात्रि के नौ दिनों की तपस्या—सभी संदेश देते हैं कि सत्य की हमेशा जीत होती है।

इन त्योहारों को हर्षोल्लास और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता है, और यह पूरे देश को एकता और सांस्कृतिक विविधता में बाँधने का काम करते हैं।



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Prachi The Tatwa Girl

ये है मेरा त्योहार जिसे मैं हवा इस शीर्षक के अंतर्गत लिखती हूं।
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