नवरात्रि का छठा दिन : माँ कात्यायनी का महत्व

नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी को शक्ति और वीरता की देवी माना जाता है। उनके इस स्वरूप में उन्हें युद्ध और साहस की देवी कहा जाता है, जो दुष्टों का संहार करती हैं और धर्म की रक्षा करती हैं। उनका नाम महर्षि कात्यायन के नाम पर पड़ा, जिन्होंने घोर तपस्या करके देवी से यह वरदान प्राप्त किया कि वे उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेंगी।

माँ कात्यायनी का स्वरूप:

माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और वीरतापूर्ण है। उनके चार हाथ होते हैं:

  • एक हाथ में तलवार है, जो शक्ति और दुष्टों का विनाश करने का प्रतीक है।
  • दूसरे हाथ में कमल का फूल है, जो ज्ञान और सौम्यता का प्रतीक है।
  • अन्य दो हाथ वरद मुद्रा में होते हैं, जो भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

उनका वाहन सिंह है, जो उनकी अदम्य शक्ति और साहस को दर्शाता है। देवी कात्यायनी का यह रूप बहुत ही शक्तिशाली है और उनके भक्तों के लिए उनका आशीर्वाद सभी संकटों का नाश करने वाला होता है।

माँ कात्यायनी की पूजा का महत्व:

  1. शत्रुओं का नाश: माँ कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों के शत्रु और बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। वे जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती हैं।
  2. साहस और शक्ति: माँ कात्यायनी की आराधना से साधक को साहस, आत्मविश्वास और शक्ति प्राप्त होती है। उनकी पूजा करने से मानसिक और शारीरिक बल बढ़ता है और जीवन में आने वाली विपरीत परिस्थितियों से निडरता से मुकाबला करने की शक्ति मिलती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: माँ कात्यायनी की कृपा से भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, और उसका मनोबल ऊँचा रहता है। उनकी पूजा से साधक को मानसिक शांति और जीवन में समृद्धि का अनुभव होता है।
  4. विवाह में विलंब: माँ कात्यायनी की पूजा विशेष रूप से उन कन्याओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है जिनके विवाह में विलंब हो रहा हो। माँ कात्यायनी का आशीर्वाद विवाह के लिए आवश्यक बाधाओं को दूर करता है और शीघ्र विवाह की संभावना बढ़ाता है।

माँ कात्यायनी की पूजा से भक्तों को हर प्रकार की बाधा से मुक्ति मिलती है और उनका जीवन सफलता, समृद्धि और शक्ति से भर जाता है। उनके आशीर्वाद से साधक के जीवन में साहस, आत्मविश्वास, और विजयी होने का अनुभव होता है।

Image Courtesy – Roova Lijuan

माँ कात्यायनी की कथा

माँ कात्यायनी की कथा पुराणों में वर्णित है, जो देवी दुर्गा के सबसे शक्तिशाली और वीर रूपों में से एक हैं। उनकी यह कथा महर्षि कात्यायन से जुड़ी है, जिनकी कठोर तपस्या से माँ कात्यायनी का जन्म हुआ।

कथा इस प्रकार है:

प्राचीन काल में महर्षि कात्यायन एक महान ऋषि थे। उन्होंने देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की और उनकी मनोकामना थी कि माँ दुर्गा उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। देवी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया और कहा कि वे उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी।

इसी समय, दुष्ट असुर महिषासुर ने अपने अत्याचार से धरती और स्वर्गलोक में हाहाकार मचा रखा था। महिषासुर इतना शक्तिशाली हो गया था कि वह देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर चुका था। उसकी दुष्टता से त्रस्त होकर देवताओं ने भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा से मदद की प्रार्थना की। देवताओं की प्रार्थना पर त्रिदेवों ने अपनी-अपनी शक्तियों का एकीकरण किया और देवी दुर्गा के रूप में एक अद्वितीय शक्ति का सृजन हुआ।

माँ दुर्गा ने महर्षि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया और उन्हें ‘कात्यायनी’ नाम दिया गया। देवी कात्यायनी ने युवा होने पर महिषासुर का वध करने का संकल्प लिया। महिषासुर के अत्याचार को समाप्त करने के लिए माँ कात्यायनी ने भयंकर युद्ध किया। उन्होंने अपनी अद्भुत शक्ति और साहस से महिषासुर को पराजित किया और उसे मार डाला।

इस प्रकार, देवी कात्यायनी ने देवताओं और पृथ्वी को महिषासुर के आतंक से मुक्त किया और धर्म की पुनः स्थापना की। महिषासुर मर्दिनी के रूप में माँ कात्यायनी की पूजा आज भी महिषासुर के वध की याद में की जाती है।

माँ कात्यायनी की कृपा:

  • माँ कात्यायनी की कृपा से भक्तों के शत्रुओं का नाश होता है।
  • उनकी पूजा से साहस, शक्ति, और आत्मबल की वृद्धि होती है।
  • माँ कात्यायनी की आराधना विशेष रूप से उन कन्याओं के लिए फलदायी होती है जो शीघ्र विवाह की कामना करती हैं।
  • उनकी कृपा से साधक जीवन में आने वाली बाधाओं और विपत्तियों से निडर होकर सामना कर सकता है।

माँ कात्यायनी की कथा हमें यह सिखाती है कि जब संसार में अधर्म और अत्याचार बढ़ता है, तब देवी अपने अद्वितीय शक्ति रूप से धर्म की रक्षा करती हैं और दुष्टों का नाश करती हैं।

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Prachi The Tatwa Girl

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