Kojagiri Poornima/ Sharad Poornima

Kojagiri Poornima (कोजागिरी पौर्णिमा), also known as Sharad Poornima in many parts of India, is a festival celebrated on the full moon night of the Hindu month of Ashwin, which generally falls in October. It is an occasion deeply connected with moonlight, the offering of milk, and has various cultural, spiritual, and social connotations.

कोजागिरी पौर्णिमा महत्त्व:

कोजागिरी पौर्णिमा म्हणजेच शरद पौर्णिमा हा सण शरद ऋतूत येणाऱ्या पौर्णिमेचा सण आहे. या दिवशी चंद्र पृथ्वीच्या सर्वात जवळ असतो, त्यामुळे त्याच्या किरणांमध्ये औषधी गुणधर्म असल्याचे मानले जाते. रात्रीच्या वेळी चांदण्यांच्या प्रकाशात दुध उकळून त्यावर चंद्राचे किरण पडू देतात, त्यानंतर ते दूध पीत असतात.

दुधाचे महत्त्व:

कोजागिरीच्या रात्री दुधाचे सेवन करणे महत्त्वाचे मानले जाते. हा दूध विशेष उकळवून त्यात मसाले, केशर, साखर टाकून तयार केला जातो. असा समज आहे की, या रात्री चंद्राच्या प्रकाशात ठेवलेले दूध औषधी गुणांनी परिपूर्ण होते, जे आरोग्यासाठी लाभदायक ठरते.

चांदण्या आणि चंद्राचे गुणधर्म:

कोजागिरी पौर्णिमेच्या रात्रीचा चंद्र विशेष ठरतो. यावेळी चंद्र पूर्णपणे तेजस्वी असतो. या दिवशी चंद्राच्या प्रकाशात औषधी गुणधर्म असल्याचे सांगितले जाते, त्यामुळे शरद ऋतूत चंद्राच्या किरणांचा लाभ मिळावा म्हणून दूध बाहेर ठेवून त्याचा आनंद घेतात.

कोजागिरीची कथा:

कोजागिरी पौर्णिमेशी संबंधित एक पौराणिक कथा आहे. या रात्री लक्ष्मी माता लोकांना विचारते, “को जागर्ति?” म्हणजे “कोण जागे आहे?”. जे लोक जागरण करतात आणि देवी लक्ष्मीची पूजा करतात, त्यांना लक्ष्मीचा आशीर्वाद मिळतो. अशी श्रद्धा आहे की, या दिवशी देवी लक्ष्मी जागृत असलेल्या लोकांना वैभव आणि संपत्ती प्रदान करते.

सांस्कृतिक महत्त्व:

कोजागिरी पौर्णिमेच्या रात्री लोक एकत्र येऊन आकाशाखाली, चांदण्यांच्या प्रकाशात, गप्पा मारतात, गाणी म्हणतात आणि दूध पीतात. अनेक ठिकाणी यावेळी विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित केले जातात.

Kojagiri Doodh
Kojagiri Doodh

कोजागिरी पूर्णिमा का महत्त्व:

कोजागिरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा हिन्दू कैलेंडर के अश्विन महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन चंद्रमा के निकटतम होने का प्रतीक है और माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में विशेष औषधीय गुण होते हैं। इस रात में लोग चंद्रमा की रोशनी में दूध का सेवन करते हैं।

दूध का महत्व:

कोजागिरी पूर्णिमा की रात दूध पीने की परंपरा है। इस दूध को उबालकर इसमें मसाले, केसर और चीनी डालकर तैयार किया जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की रोशनी में रखा गया दूध औषधीय गुणों से भर जाता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

चांदनी और चंद्रमा के गुण:

इस दिन चंद्रमा का प्रकाश विशेष रूप से प्रखर होता है। चंद्रमा की किरणों को इस दिन औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है। चंद्रमा का यह प्रकाश स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए लोग इस रात दूध को चांदनी में रखकर ग्रहण करते हैं।

कोजागिरी की कथा:

कोजागिरी पूर्णिमा से जुड़ी एक पौराणिक कथा है। कहते हैं कि इस रात माँ लक्ष्मी आकाश से उतरकर यह पूछती हैं, “को जागर्ति?” यानी “कौन जाग रहा है?” जो लोग इस रात जागते हैं और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, उन्हें माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह भी माना जाता है कि जो लोग जागते हैं, उन पर माँ लक्ष्मी कृपा बरसाती हैं और उन्हें धन-धान्य से संपन्न करती हैं।

सांस्कृतिक महत्व:

कोजागिरी पूर्णिमा की रात लोग एकत्रित होकर चांदनी की रोशनी में, खुली हवा में बैठकर दूध पीते हैं, गाने गाते हैं और इस रात का आनंद लेते हैं। कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।


कोजागिरी पूर्णिमा की कथा और संदर्भ:

कोजागिरी पूर्णिमा की महत्ता को समझने के लिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा का विशेष महत्व है। प्राचीन कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी इस दिन रात में संसार में घूमती हैं और पूछती हैं कि “कौन जाग रहा है?” जो लोग इस रात को जागकर देवी लक्ष्मी का स्वागत करते हैं, उन्हें लक्ष्मी माता धन, समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं। इसीलिए इस दिन कोजागिरी का जागरण और लक्ष्मी पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।

चंद्रमा की रोशनी को दिव्यता और शीतलता का प्रतीक माना जाता है। कोजागिरी पूर्णिमा के चांद की रोशनी से मानसिक और शारीरिक लाभ मिलता है, यह मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से तन और मन को शांति और ऊर्जा मिलती है। दूध को चांदनी में रखने और फिर उसका सेवन करने का विधान इसलिए है कि इससे शरीर में शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

उत्सव का सार: कोजागिरी पूर्णिमा का त्योहार केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। दूध और चंद्रमा की किरणों से जुड़े इन औषधीय गुणों के आधार पर इस त्योहार का आयोजन होता है।

Kojagiri Doodh

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