कन्याकुमारी की 3 दिन की यात्रा

“कश्मीर मैं, तू कन्याकुमारी” उत्तर ने दक्षिण को अफलातून आँख मारी” – क्या आपने ये गाना सुना है ?

कश्मीर से कन्याकुमारी वाले नैशनल हाइवै पर सफर करते समय ये गाना लगा के चालू ये मेरी हमेशा से इच्छा रही थी। और ये इच्छा पूरी हुई जब हमने कन्याकुमारी जाने का सोचा। ये सफर अपनी गाड़ी से तय होना था और हम तमिलनाडु के नीलगिरी से कन्याकुमारी के इस सफर पर पूरी तयारी के साथ निकल पड़े। ये बात है जनवरी 2018 की जब हुमने अपनी गाड़ी से NH 44 पर अपनी गाड़ी को मोड़ा। 

नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर भारत के सबसे महत्वपूर्ण राजमार्ग परियोजनाओं में से एक है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) का हिस्सा है। यह कॉरिडोर श्रीनगर से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है, जिसमें एनएच 44 मुख्य राजमार्ग है। यह कॉरिडोर देश के उत्तरी हिस्से को दक्षिणी हिस्से से जोड़ता है और कई बड़े शहरों और राज्यों से होकर गुजरता है।

नीलगिरी से कन्याकुमारी की यात्रा एनएच 44 के माध्यम से एक अद्भुत और सुंदर अनुभव है। यह यात्रा आपको दक्षिण भारत की प्राकृतिक सुंदरता, हरी-भरी घाटियों, पर्वतीय क्षेत्रों और समुद्री तटों से होकर ले जाएगी। नीचे इस ट्रिप के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है:

यात्रा की जानकारी:

  • कुल दूरी: लगभग 620 किलोमीटर
  • समय: लगभग 12-14 घंटे (रुकावटों के साथ)
  • रूट: नीलगिरी – कोयम्बटूर – मदुरै – तिरुनेलवेली – कन्याकुमारी

रास्ते में घूमने की जगहें:

  1. ऊटी (नीलगिरी):
    • डोड्डाबेट्टा पीक: नीलगिरी की सबसे ऊंची चोटी, जहां से घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
    • ऊटी लेक: बोटिंग और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध।
    • बॉटनिकल गार्डन: रंग-बिरंगे फूलों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध।
  2. कोयम्बटूर:
    • मरुधमलाई हिल टेम्पल: हरे-भरे पहाड़ों पर स्थित एक प्राचीन मंदिर।
    • VOC पार्क एंड ज़ू: बच्चों के लिए एक शानदार जगह।
  3. मदुरै:
    • मीनाक्षी अम्मन मंदिर: यह मंदिर अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
    • तिरुमलाई नायक पैलेस: ऐतिहासिक महल जो अपनी भव्यता और रोशनी के लिए प्रसिद्ध है।
  4. तिरुनेलवेली:
    • नेल्लाईअप्पार टेम्पल: यह भव्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
    • कोर्टालम वाटरफॉल्स: मानसून के मौसम में यहां का सौंदर्य देखने लायक होता है।
  5. कन्याकुमारी:
    • विवेकानंद रॉक मेमोरियल: समुद्र के बीच में स्थित यह स्मारक अद्वितीय है।
    • तिरुवल्लुवर स्टैच्यू: 133 फीट ऊंची इस प्रतिमा को तमिल कवि तिरुवल्लुवर की याद में बनाया गया है।
    • कन्याकुमारी बीच: सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां का दृश्य बेहद आकर्षक होता है।

यात्रा की सुंदरता:

  • इस यात्रा के दौरान आपको नीलगिरी के हरे-भरे चाय बागानों से लेकर कन्याकुमारी के सुनहरे समुद्री तटों तक का अनुभव मिलेगा।
  • पूरे रूट में कई स्थानों पर आप रुककर स्थानीय भोजन का आनंद ले सकते हैं।
  • रास्ते में कई छोटी नदियां और झरने भी देखने को मिलते हैं, जो यात्रा को और भी खूबसूरत बना देते हैं।

यह यात्रा प्रकृति प्रेमियों और ऐतिहासिक स्थलों में रुचि रखने वालों के लिए एक यादगार अनुभव हो सकता है। यदि आप इस ट्रिप को और भी आनंदमय बनाना चाहते हैं तो रात को किसी अच्छे स्थान पर ठहरने का भी प्लान कर सकते हैं।

कन्याकुमारी की 3 दिन की यात्रा

कन्याकुमारी की 3 दिन की यात्रा एनएचडीपी नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर के माध्यम से एक शानदार और यादगार अनुभव हो सकती है। इस यात्रा में आपको तीन समुद्रों का संगम, ऐतिहासिक मंदिर, अद्वितीय सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य, और प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल देखने का अवसर मिलेगा। आइए 3 दिन की यात्रा का विवरण देखें:

दिन 1: यात्रा की शुरुआत और कन्याकुमारी पहुँचें

  1. यात्रा की शुरुआत: अपनी यात्रा की शुरुआत एनएच 44 के माध्यम से करें। नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर पर सफर करते हुए आप विभिन्न प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
  2. कन्याकुमारी मंदिर: कन्याकुमारी पहुँचकर सबसे पहले देवी कन्याकुमारी के प्राचीन मंदिर के दर्शन करें। यह मंदिर देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्हें यहाँ कन्या के रूप में पूजा जाता है। मंदिर की भव्यता और समुद्र के किनारे स्थित होने के कारण यहाँ का दृश्य बहुत सुंदर होता है।
  3. त्रिवेणी संगम: मंदिर के बाद त्रिवेणी संगम जाएँ, जहाँ बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर का संगम होता है। यहाँ स्नान करना पवित्र माना जाता है, और तीनों समुद्रों के अलग-अलग रंगों का दृश्य अद्भुत होता है।
  4. स्थानीय बाज़ार और हस्तशिल्प: शाम को कन्याकुमारी के स्थानीय बाजारों में खरीदारी करें, जहाँ आपको शंख, सीपियों से बने सजावटी सामान और हस्तशिल्प देखने को मिलेंगे।

दिन 2: विवेकानंद रॉक मेमोरियल और अन्य आकर्षण

  1. विवेकानंद रॉक मेमोरियल: सुबह-सुबह विवेकानंद रॉक मेमोरियल जाएँ। मेमोरियल तक पहुँचने के लिए नाव की सुविधा उपलब्ध है, जो एक रोमांचक अनुभव प्रदान करती है। नाव के आनंद के साथ आप वहाँ से समुद्र के बीचों-बीच सूर्य की किरणों को अनुभव करें। यह स्थान स्वामी विवेकानंद की स्मृति में बनाया गया है और यहाँ का माहौल ध्यान और शांति के लिए उपयुक्त है।

    विवेकानंद रॉक मेमोरियल कन्याकुमारी का एक प्रमुख आकर्षण है। यह मेमोरियल समुद्र के बीच दो चट्टानों पर बना हुआ है और स्वामी विवेकानंद को समर्पित है। इस स्थान पर स्वामी विवेकानंद ने 1892 में ध्यान किया था। यहाँ दो मुख्य संरचनाएँ हैं:
    • स्वामी विवेकानंद मंडपम: भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण, जहाँ से समुद्र का व्यापक दृश्य दिखाई देता है।
    • श्राध्धा मंडपम: एक ध्यान केंद्र है, जहाँ लोग आकर शांति और सुकून का अनुभव कर सकते हैं।
  2. तिरुवल्लुवर स्टैच्यू: विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास स्थित 133 फीट ऊँची इस प्रतिमा को तमिल कवि तिरुवल्लुवर के सम्मान में बनाया गया है। यहाँ से समुद्र का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
  3. गांधी मंडपम: यह स्मारक महात्मा गांधी को समर्पित है। यहाँ उनकी अस्थियों को कुछ समय के लिए रखा गया था। यह संरचना वास्तुकला और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षक है।
  4. सूर्यास्त का दृश्य: कन्याकुमारी बीच पर सूर्यास्त का आनंद लें। यहाँ का सूर्यास्त देशभर में प्रसिद्ध है और समुद्र के बदलते रंग इसे और भी खूबसूरत बना देते हैं।

कन्याकुमारी का सूर्योदय और सूर्यास्त

कन्याकुमारी अपने सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्वितीय दृश्यों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ आप एक ही स्थान से बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, और हिंद महासागर को मिलते हुए देख सकते हैं। सूर्योदय के समय आकाश का नारंगी और गुलाबी रंग समुद्र के पानी पर एक अद्भुत दृश्य बनाता है, जबकि सूर्यास्त के समय आकाश के बदलते रंग एक बेहद रोमांटिक और मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य पेश करते हैं।

त्रिवेणी संगम

त्रिवेणी संगम वह पवित्र स्थान है जहाँ तीन समुद्र मिलते हैं:

  1. बंगाल की खाड़ी (पूर्वी ओर)
  2. अरब सागर (पश्चिमी ओर)
  3. हिंद महासागर (दक्षिणी ओर)

इस संगम स्थल को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक पवित्र माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। त्रिवेणी संगम का पानी तीन अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है, जो इसे और भी अद्वितीय और आकर्षक बनाता है।

दिन 3: स्थानीय पर्यटन और यात्रा का समापन

  1. सुबह का सूर्योदय: दिन की शुरुआत समुद्र के किनारे से सूर्योदय देखने से करें। यह एक अद्वितीय अनुभव होगा, जहाँ आप देख सकते हैं कि कैसे सूरज धीरे-धीरे क्षितिज से उभरता है।
  2. वुचुपाराई व्यू पॉइंट: यहाँ से समुद्र का शानदार दृश्य देखने को मिलता है। यह एक शानदार जगह है जहां से आप त्रिवेणी संगम का एक और दृश्य देख सकते हैं।
  3. स्थानीय भोजन और संस्कृति: कन्याकुमारी का स्थानीय भोजन और संस्कृति का आनंद लें। यहाँ के समुद्री भोजन और पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजनों का स्वाद जरूर लें।
  4. यात्रा का समापन और वापसी: कन्याकुमारी की यात्रा के बाद शाम को वापस अपनी यात्रा शुरू करें। रास्ते में विभिन्न स्थलों पर रुक कर वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लें।

संक्षेप में:

  • प्रमुख आकर्षण: कन्याकुमारी मंदिर, विवेकानंद रॉक मेमोरियल, त्रिवेणी संगम, तिरुवल्लुवर स्टैच्यू, गांधी मंडपम।
  • विशेष अनुभव: तीन समुद्रों का संगम, सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य, ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का दौरा।
  • यात्रा सुझाव: मौसम और समुद्री लहरों को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएं। नाव यात्रा और सूर्योदय-सूर्यास्त देखने के लिए समय का ध्यान रखें।

इस तरह की यात्रा आपको न केवल प्राकृतिक सौंदर्य बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभवों से भी समृद्ध करेगी।

कन्याकुमारी की यह यात्रा न केवल प्राकृतिक सौंदर्य बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों का भी अनुभव कराती है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों, धार्मिक यात्रियों और इतिहास के प्रति उत्सुक लोगों के लिए एक परिपूर्ण गंतव्य है।

Prachi The Tatwa Girl

ये है मेरा यात्रा लेख जिसे मैं आकाश इस शीर्षक के अंतर्गत लिखती हूं।
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मैं यात्रा के साथ साथ अग्नि इस शीर्षक मे खाने से जुड़े लेख भी लिखती हूं और खासकर की मेरी इस वेबसाईट पर आप सीख सकते है सस्टैनबल जीवन जीने के तरीके।
वहनीय विकास ये आज के समय की आवश्यकता है।
मुझे सुनने के लिए Green Tatwa Talks के पॉडकास्ट को अवश्य सुने जहाँ मेरे साथ जुड़े है कई ऐसे लोग, सदस्य, संस्था जो पर्यावरण के लिए विशेष रूप से कार्यरत है और प्रयास कर रहे है।

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