December-January ka rishta
aapne kabhi calendar dekha hai
kaise har mahine naye tyohar, naye din nayi raat
le kar hai aa jate har baar
आज बात करती हूँ दिसंबर और जनवरी के प्यासे से रिश्ते की
एक शुरुवात है तो एक है अंत
उसी अंत से शुरू होती है वो शुरुआत
जो साथ निभाती है ११ महीनो तक हमारा
दिसंबर में यादें है तो जनवरी में वादे है
उतनी ही तारीखें है पर अंदाज़ अलग है इनका
एक में छुपी है याद तो एक है नयी आस की शुरुवात
aakhir aane wala pal jaane wala hai…..
उतनी ही तारीखें और
उतनी ही ठंड…
पर पहचान अलग है दोनों की
अलग है अंदाज़ और
अलग हैं ढंग…
एक अन्त है,
एक शुरुआत
जैसे रात से सुबह,
और सुबह से रात…
एक मे याद है
दूसरे मे आस,
जो दिसंबर छोड़ के जाता है
उसे जनवरी अपनाता है,
और जो जनवरी के वादे है
उन्हें दिसम्बर निभाता है…
कैसे जनवरी से
दिसम्बर के सफर मे
११ महीने लग जाते है…
लेकिन दिसम्बर से जनवरी बस
१ पल मे पहुंच जाते है!!
जब ये दूर जाते है
तो हाल बदल देते है,
और जब पास आते है
तो साल बदल देते है…
देखने मे ये साल के महज़
दो महीने ही तो लगते है,
लेकिन…
सब कुछ बिखेरने और समेटने
का वो कायदा भी रखते है…
दोनों ने मिलकर ही तो
बाकी महीनों को बांध रखा है,
अपनी जुदाई को
दुनिया के लिए
एक त्यौहार बना रखा है..!
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